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लेखनी कहानी -10-august -2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 37


दोनों उस मूसलाधार बारिश में लड़ रहे थे । हंशित अपने प्यार को पाने की जी तोड़ मेहनत कर रहा था । काफी देर बाद हिमानी ज़ोर से चीखी और बोली " रुक जाओ हंशित तुम्हे मेरे प्यार का वास्ता, अगर मुझसे सच्चा प्यार करते हो तो रुक जाओ वरना में इस आग में कूद कर अपनी जान दे दूँगी  "


ये सुन कर हंशित रुक गया  और बोला " नही हिमानी इस बिलकुल मत करना तुम्हे अगर कुछ हो गया तो ये हंशित भी अपनी जान दे देगा "


"हंशित तुमने मुझसे वादा किया था की अगर मेरे माता पिता हमारे रिश्ते को नही मानेगे तो तुम मुझे छोड़ दोगे, तो क्या ये वादा निभा रहे हो तुम " हिमानी ने कहा रोते हुए 


"हिमानी तुम सही कह रही हो लेकिन मैं क्या करू ये दिल जिसके मन मंदिर में तुम्हारी ही तस्वीर लगी है , चाह कर भी तुम्हारे किए उस वादे को निभा नही पा रहा  मैं तुम्हे किसी और का होते हुए कैसे देख सकता हूँ जबकी तुम्हारा दिल सिर्फ और सिर्फ मेरे लिए धड़कता है  और उसमे जो प्रेम है  वो मेरे लिए है  आखिर कैसे तुम्हे किसी और का होने दू  " हंशित ने कहा


"हंशित अपने दिल को समझाओ  मैं तुम्हारी नही हो सकती , जिस तरह मैने अपने दिल को समझाया है  उसी तरह तुम भी अपने दिल को समझाओ और उन सब को एक अच्छा या बुरा तुम्हारी मर्ज़ी ख्वाब समझ कर भूल जाओ तुम्हे तुम्हारी माँ का वास्ता मेरी मोहब्बत को और रुसवा मत करो  जाओ चले जाओ यहाँ से मैं तुम्हारे साथ नही चल सकती " हिमानी ने कहा रोते हुए 


हंशित उसे इस तरह रोते नही देख सकता था  और बोला " ठीक है  मैं जा रहा हूँ लेकिन तुम्हारा प्यार इस दिल से कभी नही निकलेगा मैं मर भी गया तब भी मेरे दिल से तुम्हारी मोहब्बत नही निकलेगी मेरा दिल रो रहा है  और उसका गवाह ये आसमान भी है देखो किस तरह हमारी जुदाई पर रो रहा है  "



"चलिए पंडित जी मन्त्र शुरू कीजिये बहुत  हुआ बैठो हिमानी बहुत देखे है  इस जैसे आशिक " सुरेन्द्र ने कहा उसका हाथ पकड़ कर बैठ गया ।


हरी किशन जी पीछे खड़े थै वो अपनी बेटी की हालत जानते थे , वैशाली जी ने उनकी तरफ  देखा  उन्होंने नज़रे नीची कर ली शायद  हरी किशन जी को लगने लगा था की वो गलत कर रहे है  लेकिन फिर भी मानने को तैयार नही थे  इसलिए कुछ नही बोले और हंशित को वहा से हाथ जोड़ कर जाने का कहा ।


हंशित और उसके दोस्त वहा से जाने लगे , भव्या जोर जोर से रोने लगी और बोली " पापा एक बार बस एक बार अपने दिल की सुन लीजिये हर प्यार करने वाला धोकेबाज़ नही होता जो बुआ के साथ हुआ जरूरी नही दीदी के साथ भी वही हो पापा एक बार बस एक बार इन दोनों के प्यार को समझ लीजिये आप को खुद एहसास हो जाएगा की आप गुस्से में आकर दो सच्चा प्यार  करने 
वालो को जुदा कर रहे है  आप एक गुनाह कर रहे है  जिसकी माफ़ी आपको ज़िन्दगी भर नही मिलेगी चाहे आप भगवान के चरणों में ही क्यू ना पड़े रहे  फिर जिंदगी भर  "


"भव्या खामोश एक लफ्ज़ और नही वरना  मुझसे बुरा कोई नही होगा " वैशाली जी ने कहा उसकी तरफ देख  कर।

हंशित  को उसके दोस्त ले जा रहे थे क्यूंकि अब उम्मीद की सारी किरणे अंधकार में जा चुकी थी । हिमानी और सुरेन्द्र फेरो के लिए खड़े हो चुके थे ।


लेकिन शायद  ईश्वर को भी हिमानी और सुरेन्द्र की जोड़ी पसंद नही थी या यूं कहे कहने को तो दुनियां वाले हिमानी के साथ सुरेन्द्र का नाम जोड़ने की कोशिश कर रहे थे लेकिन ईश्वर ने तो हिमानी का साथ हंशित के साथ लिख दिया था  तब ही तो कुछ ऐसा हुआ जिसकी उम्मीद भी नही की जा सकती थी ।



एक आवाज़  जिसने पूरे केदारनाथ को जगा दिया, शायद वो बादल फटने की आवाज़ थी  और पानी का सैलाब उन लोगो की और बढ़ रहा था ।


वहा खड़े लोग अचम्बे में थे की आखिर ये हुआ किया तब ही कविता जी ने सुरेंद्र और हिमानी का हाथ छुड़ाया  और सुरेन्द्र का हाथ पकड़ कर बोली " भाग यहाँ से सुरेन्द्र इस का हाथ छोड़  जाने दे इसे सामने से पानी आ रहा है  भाग यहाँ से, "


सामने से आता पानी देख  सुरेन्द्र ने भी हिमानी का हाथ छोड़ा  और वो अपनी माँ का हाथ थाम कर सबके सामने वहा से भाग निकला हिमानी और उसके घर वाले देखते ही रह गए की आखिर ये हुआ किया।


हरी किशन जी सुरेन्द्र के पीछे दौड़े और बोले " बेटा मेरी बेटी तुम्हारी शादी है  उसके साथ  "


"काका अपनी बेटी को अपने पास ही रखो देख नही रहे हो बादल फटा है  थोड़ी ही देर में यहाँ सैलाब आ जाएगा अपनी जान बचाऊ या आपकी बेटी की " सुरेन्द्र ने कहा


"बेटा तुम तो उसे पसंद करते थे उससे प्यार था तुम्हे उसे यूं अकेला छोड़ रहे हो " हरी किशन जी ने कहा

"काका मुसीबत सर पर खड़ी है  और आप कह रहे है मैं उससे शादी कर लू चाहे मेरी मौत ही आ जाये उससे शादी करने के चककर में आप लोग भी भाग जाइये वरना मारे जाएंगे " सुरेंद्र ने कहा और अपने परिवार वालो के साथ इस तरह भागा मानो जहाज डूबने पर जैसे चूहे भागते है ।


पानी मंदिर तक आ पंहुचा  हंशित दौड़ता हुआ हिमानी के पास आया  और उसे गोदी में उठा कर उसके परिवार वालो के साथ  उन्हें बचाता हुआ वहा से बाहर निकला।


चारो और पानी ही पानी था, घर, बह रहे थे । सब लोग डरे हुए थे  और ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे । लोगो की लाशें पानी में मछलियों की तरह तेर रही थी  वो तबाही  थी और कुछ नही ऐसा मंज़र आज से पहले शायद कभी देखा ना गया था  उस घाटी में।


ये खबर जैसे ही रुपाली जी के घर वालो को पता चली की केदारनाथ में बादल फटने से बाढ़ जैसे हालात बन चुके है उनके तो दिल बैठ गए ।

सब लोग टीवी के आगे बैठ गए और पल पल की खबर लेने लगे , हंसराज जी भी थोड़ा घबरा गए उन्होंने भी अपने पैसे के बल पर ना जाने क्या कुछ नही किया।


सब लोग रो रहे थे उनके घर में, श्रुति की माँ भी आ चुकी थी  उसका भी रो रोकर बुरा हाल था  जिस तरह की खबरे न्यूज़ वाले बता रहे थे उन्हें देख कर तो लग रहा था  मानो उनके बच्चें बचेंगे ही नही।


वही दूसरी तरफ हंशित अपनी बहादुरी और प्यार की ताकत के बलबूते उन सब को सुरक्षित स्थान ले जाने में मदद कर रहा था , सिर्फ उनकी ही नही और लोगो की भी जो फस चुके थे।


हरी किशन जी को अब यकीन हो रहा था और पछतावा भी की उन्होंने अपने बेटी के प्यार को नही समझा और ज़िद्द में आकर  ऐसे लड़के के साथ उसकी शादी करा रहे थे जो मुसीबत पड़ते ही उसे और उन सब को छोड़ कर भाग निकला वो शर्मिंदा हो रहे थे और सोच रहे थे एक बार मैने अपने दिमाग़ की नही दिल की सुनी होती तो आज हम लोग इस तकलीफ में ना होते और मैं भी इन दो सच्चा प्यार करने वालो के बीच दीवार  ना बनता  ये मैने क्या कर दिया प्रभु ।



चारो और सिर्फ और सिर्फ तबाही का सा मंज़र था , आसमान से बारिश नही प्रकोप बरस रहा  था  जिसका असर घाटी में रहने वाला हर इंसान भुगत रहा था ।

चारो और सैना के हेलीकाप्टर ही दिखाई दे रहे थे , चारो और पानी के अलावा कुछ नज़र नही आ रहा था ।


"हम लोग नही बचेंगे हंशित  " हिमानी ने उसके सीने से लग कर कहा 


"नही हिमानी ऐसा मत सोचो हम लोग जरूर बच जाएंगे और देखना  जब हम यहाँ से निकल जाएंगे तब मैं धूम धाम से बारात लेकर तुम्हारे घर आऊंगा,और तुम्हारे माता पिता को मना कर उनके आत्म सम्मान को ठेस पहुचाये बिना उनके आशीर्वाद के साथ तुम्हे अपनी दुल्हन बना कर ले जाऊंगा मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूँ तुम्हारे बिना ज़िन्दगी गुज़ारने का तो मैं सोच ही नही सकता  हिमानी से ही हंशित है , हिमानी नही तो कुछ नही " हंशित ने कहा


हंशित मैं भी तुमसे बेहद प्यार करती हूँ, मुझे तुम्हारे साथ गुज़ारा हर एक लम्हा बहुत  अच्छे से याद है , वो पहली बार हमारा मिलना वो रंग बिरंगे परो वाली चिड़िया जिसने हमें पहली बार मिलाया, उसके बाद वो टूर एंड ट्रेवल्स वाले के यहाँ हमारी दूसरी मुलाक़ात तुम जानते हो मैने उससे किया कहा था  की अगर ये लड़का मुझसे ज्यादा बोलेगा तो मैं इसे पहाड़ी से नीचे फेक दूँगी ।


सच में तुमने यही कहा था , मैने भी यही कहा था उससे की अगर ये लड़की मुझसे तमीज से नही बोली तो मैं इसे पहाड़ी से फेक दूंगा और उसके ज़िम्मेदार आप होगे।


ये कह कर दोनों हसने लगे और एक दूसरे को देखने लगे  हिमानी बोली कौन जानता था  की मैं हिमानी उसी लड़के से इतना प्यार कर बेठूऊंगी की उसकी मौजूदगी मेरे लिए ख़ुशी का लम्हा लेकर आएगी  और उससे बिछड़ना मेरे लिए  किसी जुदाई से कम ना होगा।

. सही कहा हिमानी लोग सही कहते प्यार इंसान को तोड़ कर रख देता है  कौन जानता था ये लड़का इस खड़ूस लड़की के प्यार में इतना पागल हो जाएगा की सारी हदे पार कर देगा, यहाँ तक की साप से भी कटवा लेगा, और मौत के मुँह से वापस आ जाएगा सच में सच्ची मोहब्बत में बहुत ताकत है  अब हिमानी को हंशित का होने से कोई नही रोक सकता ।


"हंशित क्या तुम अब भी भगवान से नाराज़ हो " हिमानी ने पूछा


हंशित थोड़ा खामोश रहा  और बोला " शायद अब नही क्यूंकि उसने मुझे इतना प्यारा तोहफा जो दिया है  और मुझे उस रात तुमने समझा दिया था की वो सिर्फ एक हादसा था और कुछ नही उस लड़की की मौत शायद ऐसे ही लिखी थी लेकिन उसके माता पिता का दुख मुझे हमेशा रहेगा  कहने को मैं हर महीने उन्हें पैसे भेजता हूँ वो ये बात जानते नही है  क्यूंकि मैने डाकिये से कह रखा है  की उनसे कहना की उनकी बेटी ने कुछ पैसे इन्वेस्ट किए थै ये उन्ही का मुनाफा है  जो हर महीने आप दोनों को मिल जाता है , मेरे पिता को भी एक दिन उनके कर्मो की सजा मिल ही जाएगी एक ना एक दिन क्यूंकि तुमने कहा था ये कलयुग है  और यहाँ इंसान को अपने कर्मो की सजा भोग  कर ही नर्क या स्वर्ग में जाना है  और रही बात मेरी भगवान से नाराज़गी की तो वो भी धीरे धीरे ख़त्म हो जाएगी क्यूंकि तुम जो आ गयी हो मेरे पास "


"हंशित तुम्हारा दिल एक दम शीशे जैसा है मैं खुश किस्मत हूँ की मुझे तुम जैसा प्यार करने वाला मिला, भव्या हमेशा मुझे यकीन दिलाती थी और कहती थी दीदी देखना एक दिन कोई होगा जो आपसे प्यार करेगा और आप उससे, वो एक दिन आपके पास खुद चल कर आ जाएगा लेकिन मुझे ना जाने क्यू एक डर सा लगता था मैं ज्यादा ख्वाब नही देखती थी क्यूंकि ख्वाब मुट्ठी में भरी रेत की तरह होते है  जैसे मुट्ठी खोलने पर रेत नीचे गिरकर मुट्ठी खाली रह जाती है  उसी तरह सपना टूटने पर भी  आँखों में सिर्फ उस सपने की परछाई रह जाती है  और हकीकत उससे कही अलग होती है । और सच्चा प्यार तो हमेशा अधूरा ही रह  जाता है  फिर चाहे वो राधा कृष्ण का ही क्यू ना हो बस इस वजह से डरती थी ।" हिमानी कुछ और कहती तभी हंशित ने उसके होठो पर अपनी ऊँगली रख उसे शांत कराते हुए कहा


हमारा सच्चा प्यार अधूरा नही रहेगा तुम देखना हम बहुत जल्द यहाँ से निकल जाएंगे तुम घबराओं नही और अपने प्यार को मंजिल तक पंहुचायेंगे हमारी जोड़ी राम सीता जैसी होगी।


उधर  रुपाली जी के घर वालो का रो रो कर बुरा हाल था । तभी अचानक  रजनी बेहोश हो कर गिर गयी  रोने की वजह से सब लोग घबरा गए । उसे लिटाया गया  और डॉक्टर को बुलाया।


डॉक्टर ने चेक अप किया और बताया  " आप  सब को मुबारक हो आपके घर नए मेहमान की दस्तक होने वाली है  आपकी बहु माँ बनने वाली है  "

. ये खबर अगर किसी और समय मिलती तो शायद त्रिपाठी भवन में जश्न होता क्यूंकि ये खबर सुनने के लिए त्रिपाठी भवन के लोगो के कान तरस गए थे  लेकिन संयोग  तो देखो एक तरफ ख़ुशी मिल रही थी , रजनी की इश्वर में जगाई गयी आस्था का परिणाम उसे मिल रहा था  वही दूसरी तरफ हंशित  उस घर का दूसरा दीपक ज़िन्दगी और मौत से लड़ रहा था ।


ज्यादातर लोगो को NDRF की टीम ने सुरक्षित निकाल लिया था , वही हंशित भी  लोगो को निकालने में उनकी मदद कर रहा था बिना अपनी जान की परवाह किए  बिना।

हिमानी और उसका परिवार सुरक्षित था , उसके दोस्त भी सुरक्षित थे  वो लोग वहा खड़े होकर मौत को अपने सामने देख रहे थे  लोगो के आशयाने इस तरह बह रहे थे, लोगो के जानवर, उनके अपने उनसे बिछड़ चुके थे  चारो और लाशें ही लाशें तेर रही थी, तबाही का मंज़र अपनी आँखों से देख रहे थे ।


हेलीकाप्टर की मदद से एक  एक करके सब को ऊपर लाया जा रहा था , हंशित अभी भी लोगो की मदद कर रहा था  सब लोग उसे बुला रहे थे  ज्यादा तर लोगो को हंशित ने बचा कर सुरक्षित स्थान पंहुचा दिया था  और अब वो भी हिमानी और उसके परिवार  के साथ  सुरक्षित जगह जाने को तैयार था ।


सब लोग हेलीकाप्टर में बैठ चुके थे हिमानी चढ़ रही थी और हंशित उसके पीछे था  तभी अचानक कुछ ऐसा हुआ किसी ने हंशित को मदद के लिए पुकारा।



क्या हंशित मदद के लिए जाऐगा  जानने के लिए  पढ़िए लास्ट एपिसोड 


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11 Comments

shweta soni

18-Mar-2023 02:34 PM

👌👌

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Reena yadav

11-Aug-2022 04:06 PM

बस बाकी सब की तरह हंशित भी सुरक्षित रहे

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Chudhary

11-Aug-2022 12:12 AM

Nice

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